Month: नवम्बर 2016

पूरा ध्यान दें

मैं प्रेक्षागृह में बैठे हुए, पासवान की ओर ध्यान से देखता रहा l मेरी मुद्रा बता रही थी मैं उनकी हर बात पर ध्यान दे रहा था l अचानक मैंने सबको हँसते और ताली बजाते सुना l चौंककर, इधर-उधर देखा l प्रचारक ने ज़रूर कुछ हास्यकर कहा था, जो मैंने नहीं सुनी l मैं ध्यान दे रहा था, किन्तु वास्तव में मेरा ध्यान दूर था l

जो बोला जा रहा है उसे सुनना संभव है, किन्तु ध्यान नहीं देना, देखना किन्तु गौर न करना, उपस्थित रहना फिर भी अनुपस्थित l ऐसी स्थिति में, महत्वपूर्ण सन्देश छूट सकते हैं l

एज्रा द्वारा यहूदा के लोगों को परमेश्वर का निर्देश सुनाते समय, “लोग व्यवस्था की पुस्तक पर कान लगाए रहे” (नहे. (8:3) l वर्णन के प्रति ध्यान समझ उत्पन्न की (पद.8), जो पश्चाताप और जागृति में परिणित हुई l यरूशलेम में विश्वासियों का सताव आरंभ होने के बाद (प्रेरितों 8:1), सामरिया में एक और स्थिति में, फिलिप्पुस, सामरियों तक पहुंचा l भीड़ ने आश्चर्यजनक चिन्हों पर ही केवल ध्यान नहीं दिया, किन्तु उन्होंने “सुनकर ... एक चित्त होकर मन लगाया” (पद.6) l “और उस नगर में बड़ा आनंद छा गया (पद.8) l

मन एक अस्थिर अनुभवी होकर अपने निकट बहुत सारे उत्तेजनाओं को खो सकता है l उन शब्दों से अधिक ध्यान किसी को नहीं चाहिए जो हमारे स्वर्गिक पिता के आनंद और आश्चर्य प्राप्ति में हमारी सहायता करते हैं l

रोटी!

मैं मेक्सिको के एक छोटे शहर में रहती हूँ जहाँ आप प्रति भोर और शाम एक विशिष्ट आवाज़ सुन सकते हैं : “ब्रेड!” एक व्यक्ति अपनी मोटरबाइक पर बड़े टोकरे में अनेक प्रकार के मीठे और नमकीन ब्रेड बेचता है l इसलिए मैं अपने द्वार पर ही ताज़े ब्रेड का आनंद लेती हूँ l

शारीरिक भूख की पूर्ति से आत्मिक भूख की पूर्ति की ओर चलकर, मैं यीशु के शब्दों पर विचारती हूँ : “जीवन की रोटी जो स्वर्ग से उतरी, मैं हूँ l यदि कोई इस रोटी में से खाए, तो सर्वदा जीवित रहेगा” (यूहन्ना 6:51) l

किसी ने कहा है कि उद्धार वास्तव में एक भिखारी का दूसरे भिखारी को बताना है उसने रोटी कहाँ पाई है l हममें से अनेक कह सकते हैं, “मैं एक समय आत्मिक रूप से भूखा, अपने पापों के कारण भूखों मर रहा था l तब मैंने सुसमाचार सुना l किसी ने बताया रोटी कहाँ मिलती है : यीशु में l और मेरा जीवन बदल गया!”

अब हमारे लिए अवसर और जिम्मेदारी इस जीवन की रोटी के विषय दूसरों को बताना है l हम यीशु के विषय अपने पड़ोस, कार्य स्थल, स्कूल, अपने मनोरंजन स्थान में बताएँ l हम यीशु के विषय प्रतीक्षालय, बस, या रेल में बता सकते हैं l हम मित्रता से दूसरों तक सुसमाचार पहुंचा सकते हैं l

यीशु जीवन की रोटी है l यह महान समाचार सबको बताएँ l

सही दृष्टि

रेले शक्तिशाली कुत्ता है-बड़ा, बलवान, शरीर अत्यधिक रोएंदार, वजन 100 पौंड से अधिक! बावजूद इसके, रेले प्रेमी है l उसका मालिक लोगों की ख़ुशी के लिए उसे नर्सिंग होम्स और हॉस्पिटल ले जाता है l

एक दिन एक चार वर्षीय लड़की ने रेले पर हाथ फेरने से डरती थी l आख़िरकार, डर समाप्त हुआ और उसने कई मिनट तक उससे बातें कर उस पर हाथ फेरे l  उसने जाना कि वह शक्तिशाली होकर भी विनम्र प्राणी है l

इन गुणों का मेल मुझे यीशु का स्मरण करता है l यीशु सुगम्य था-उसने छोटे बच्चों का स्वागत किया (मत्ती 19:13-15) l वह कठिन स्थिति में व्यभिचारिणी के साथ दयालु था (यूहन्ना 8:1-11) l करुणा ने उसे भीड़ को सिखाने को प्रेरित किया (मरकुस 6::34) l इसके साथ, यीशु की शक्ति विस्मयकारक थी l उसका दुष्टात्मा को अधीन करना, प्रचंड आंधी को शांत करना, मृतकों को जिलाना, से लोग ठगे से रह गए! (मरकुस 1:21-34; 4:35-41; यूहन्ना 11) l

यीशु के प्रति हमारा दृष्टिकोण उसके साथ हमारा सम्बन्ध निर्धारित करता है l उसकी सामर्थ्य पर केन्द्रित होकर, हम उसको लौकिक पुस्तक सुपर नायक से पृथक आदर देंगे l किन्तु उसकी दया पर अत्यधिक बल देकर, हम अत्यधिक लापरवाही से उसके साथ व्यवहार करने का जोखिम उठाएंगे l सच्चाई यह है कि यीशु एक ही समय दोनों है-हमारी आज्ञाकारिता के लिए महान फिर भी हमें मित्र कहने के लिए नम्र l

एक नया उद्देश्य

जेकब डेविस एक परेशान दरजी था l  पश्चिमी अमरीका में 1800 के दशक में सोना खोदकर अप्रत्याशित लाभ उठाने की चाहत शीर्ष पर थी और सोने खोदने वालों के पैंट घिसते जाते थे l उसका समाधान? डेविस, लीवाई स्त्रौआस के कपड़े की दूकान से तम्बू बनाने का कपड़ा खरीदकर, उस वजनी, मजबूत सामग्री से पैंट बनाया-और नीले जीन्स बन गए l आज, विश्व में  सर्वाधिक लोकप्रिय कपड़ों में अनेक प्रकार के डेनिम जीन्स(लिवाइस जीन्स भी) हैं, और केवल इसलिए कि तम्बू के कपड़े को नया उद्देश्य मिला l

शिमोन और उसके मित्र गलील की झील में मछुआरे थे l तब यीशु आकर उन्हें उसका अनुसरण करने को बुलाया l उसने उनको नया उद्देश्य दिया l अब वे मछली नहीं पकड़ेंगे l जब यीशु ने उनसे कहा, “मेरे पीछे आओ; मैं तुम को मनुष्यों के मछुए बनाऊंगा” (मरकुस 1:17) l

उनके जीवन में इस नए उद्देश्य के साथ, ये लोग यीशु द्वारा सिखाए और प्रशिक्षित किये गए ताकि, उसके स्वर्गारोहण पश्चात क्रूस और मसीह के पुनरुत्थान के सन्देश को लेकर वे  परमेश्वर द्वारा लोगों के हृदयों को अपने अधीन करने हेतु उपयोग किये जाएंगे l आज,हम मसीह के प्रेम और उद्धार का सुसमाचार बांटते हुए उसके पद चिन्हों पर चलते हैं l

हमारे जीवन इस प्रेम को घोषित और प्रकट करें, जो दूसरों का जीवन, उद्देश्य, और अनंत गंतव्य बदल सकता है l

चिन्ह और चेतना

एक परिचित जवान आदतनुसार परमेश्वर से चिन्ह माँगता था l उसकी प्रार्थनाएँ उसकी भावनाओं का प्रमाण चाहती थीं l जैसे, उसकी प्रार्थना होगी, “परमेश्वर यदि तेरी इच्छा है मैं यह करूँ, तो आप वह करें, और मैं जान लूँगा वह ठीक है l”

इससे दुविधा हो गई है l क्योंकि उसका परमेश्वर से उत्तर प्राप्त करने के तरीके अनुसार वह अपनी पुरानी प्रेमिका के पास लौटना चाहता है जबकि वह मानती है कि परमेश्वर की यह इच्छा नहीं है l

यीशु के युग के धार्मिक अगुए उसके दावों के प्रमाण में चिन्ह मांगते थे (मत्ती 16:1) l वे परमेश्वर के मार्गदर्शन के बदले; उसके दिव्य अधिकार को चुनौती देते थे l यीशु का उत्तर था, “इस युग के बुरे और व्यभिचारी लोग चिन्ह ढूढ़ते हैं” (पद.4) l यीशु का सशक्त प्रतिउत्तर परमेश्वर का मार्गदर्शन खोजने से रोकने हेतु एकमुश्त कथन नहीं, बल्कि, वचन में उसके अभिषिक्त होने के संकेत की अवहेलना हेतु, उनको दोषी ठहराना था l

परमेश्वर हमसे प्रार्थना में उसका मार्गदर्शन खोजने को कहता है (याकूब 1:5) l वह आत्मा (यूहन्ना 14:26) वचन (भजन 119:105) परामर्शदाता और बुद्धिमान अगुओं द्वारा भी मार्गदर्शन देता है l और उसने खुद यीशु का उदाहरण दिया है l

परमेश्वर का स्पष्ट मार्गदर्शन मांगने की इच्छा नेक है, किन्तु वह हमेशा हमारी इच्छानुसार नहीं करता l प्रार्थना का व्यापक बिंदु परमेश्वर का चरित्र जानना और पिता के साथ सम्बन्ध विकसित करना है l

हमें मालूम न था

एक स्थानीय कलीसिया के स्वयंसेवकों ने एक ठण्डी शाम को निम्न-आय वाले लोगों के भवन-समूहों में भोजन वितरण किया l एक स्त्री भोजन पाकर उल्लासित हुई l उसने अपनी खाली आलमारी दिखाकर उनसे कहा कि वे उसकी प्रार्थनाओं के उत्तर थे l

स्वयंसेवकों के चर्च लौटने पर एक महिला रोने लगी l “जब मैं छोटी थी,” उसने कहा, “वह महिला मेरी सन्डे स्कूल शिक्षिका थी l वह प्रत्येक रविवार चर्च आती है l हमें मालूम न था कि वह लगभग भूखी मर रही है!”

स्पष्तः: वे लोग चिंता करनेवाले लोग थे जो परस्पर बोझ उठाना चाहते थे, जैसे पौलुस गलातियों 6:2 में सलाह देता है l फिर भी उन्होंने स्त्रियों की ज़रूरतों पर ध्यान नहीं दिया था-जिसको वे प्रति रविवार देखते हैं-और उसने अपनी ज़रूरतें नहीं बताई थी l यह हमारे लिए अपने चारों-ओर के प्रति और अभिज्ञ रहने की कोमल ताकीद हो सकती है और, जैसे पौलुस कहता है, “जहां तक, अवसर मिले हम सब के साथ भलाई करें, विशेष करके विश्वासी भाइयों के साथ” (6:10) l

एक साथ उपासना करनेवालों को परस्पर सहायता करने का अवसर है ताकि मसीह की देह में कोई सहायता विहीन न रहे l जब हम एक दूसरे को जानते और चिंता करते हैं, शायद हमें कभी नहीं कहना पड़ेगा, “हमें मालूम न था l”

एक कठिन पहाड़

हमारे घर आइडाहो के उत्तर में पर्वतों की जुगहैंडल चोटी की परत में ऊपर एक हिम झील है l इस झील तक का मार्ग शिलाखंडों और अलग-अलग पत्थरों के बीच खड़ी चढ़ाई, और खुला संकरा ऊंचा भाग है l यह प्रचंड चढ़ाई है l

हालाँकि, चढ़ाई के आरंभ में, एक छोटी नदी है-एक जल-श्रोत जो मुलायम, काईदार धरती से निकलकर हरे-भरे मैदान के बीच से बहती है l यह आगे की कठिन चढ़ाई के लिए संतुष्ट होने तक जल पीने का स्थान और तैयारी है l

मसीही जीवन पर जॉन बनयन की उत्कृष्ट कृति, द पिल्ग्रिम्स प्रोग्रेस, में मसीही पहाड़ कठिनाई नामक, एक खड़ी चढ़ाई के निकट पहुँचता है, “जिसके नीचे एक सोता था ... मसीही अब उस सोते तक गया और तरोताज़गी हेतु जल पीया, और तब पहाड़ पर चढ़ने लगा l”

शायद आपके लिए कठिन पहाड़ एक विद्रोही बच्चा या एक गंभीर चिकित्सीय रोग की पहचान हो सकती है l चुनौती आपके सहन से बाहर दिखती है l

अपने अगले मुख्य कार्य का सामना करने से पूर्व, तरोताज़गी के सोता परमेश्वर से मिलें l

अपने समस्त कमजोरी, थकान, बेकसी, भय और शंका के साथ उसके पास आएँ l तब उसकी

सामर्थ्य, ताकत, और बुद्धिमत्ता का पान करें l परमेश्वर आपकी समस्त परिस्थितियाँ जानता है और आत्मिक शक्ति और धैर्य का अत्यधिक सुख देगा l वह आगे बढ़ने हेतु आपके सिर को ऊँचा

करके सामर्थ्य देगा l

एक सुरक्षित स्थान

एक युवा जापानी समस्याग्रस्त था-वह अपने घर के बाहर जाने से डरता था l लोगों से दूर रहने के लिए, वह दिन में सोता था और पूरी रात टी.वी. देखते हुए जागता था l वह किकिकोमोरी  या आधुनिक सन्यासी था l  समस्या स्कूल में कम अंक लाने के कारण स्कूल छोड़ने से शुरु हुई l समाज से अधिक दूरी बनाकर, खुद को समाजिक रूप से अनुपयुक्त समझने लगा l आख़िरकार उसने अपने मित्रों और परिवार से बोलचाल बंद कर दिया l वह टोक्यो में इबासु- एक सुरक्षित स्थान जहाँ टूटे लोग पुनः समाज में लौट सकते हैं-नामक एक युवा क्लब में जाकर पुनः आरोग्य हो सका l

कैसा होता यदि हम कलीसिया को इबासु –और उससे अधिक समझते? शंका नहीं, हम टूटे लोगों का एक समाज हैं l पौलुस ने कुरिन्थुस की कलीसिया के पूर्व जीवन को समाज-विरोधी, हानिकारक, और खुद और दूसरों के लिए खतरनाक बताया (1 कुरिं. 6:9-10) l किन्तु यीशु में वे रूपांतरित और पूर्ण बन रहे थे l और पौलुस ने इन बचे हुए लोगों को परस्पर प्रेम करने, धीरज धरने और दयालु बनने, और ईर्ष्यालु अथवा अहंकारी या अशिष्ट नहीं बनने हेतु उत्साहित किया (13:4-7) l

चर्च को इबासु  बनाना है जहाँ सब, किसी भी संघर्ष या टूटेपन का सामना करते हुए, परमेश्वर और उसका प्रेम अनुभव करें l काश हम मसीहियों से यह दुखित संसार मसीह का अनुभव कर सके l

व्यवहारिक प्रेम

“क्या आपके पास कुछ है जो मैं धो सकती हूँ?” मैंने अपने घर में एक मेहमान से पूछा l उनका चेहरा खिल उठा, और उसने अपनी पुत्री से कहा, “अपने गंदे कपड़े ले आओ-एमी हमारे कपड़े धो देगी!” मैं मुस्कराई, यह जानते हुए कि मेरा पेशकश थोड़े वस्तुओं से बढ़कर कहीं अधिक हो गया है l

बाद में रस्सी पर कपड़े फैलाते समय, प्रातः बाइबिल पठन से एक वाक्यांश मेरे मस्तिस्क में आया : “दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो” (फिलि. 2:3) l मैं पौलुस की लिखी फिलिप्पियों की पत्री पढ़ रही थी, जिसमें उसने परस्पर सेवा और एकता में मसीह की बुलाहट के योग्य जीवन जीने का आह्वान किया l वे अत्याचार सह रहे थे, किन्तु पौलुस उनसे एक मन रहने को कहा l उसे मालूम था कि उनकी एकता मसीह के साथ रहने और परस्पर सेवा में प्रगट है, जिससे वह अपने विश्वास में ताकतवर रहेंगे l 

हम स्वार्थी इच्छा या व्यर्थ अहंकार के बगैर दूसरों से प्रेम करने का दावा कर सकते हैं, किन्तु व्यवहारिक प्रेम के बिना हमारे हृदय की वास्तविक दशा प्रगट नहीं होगी l यद्यपि मैंने कुड़कुड़ाना चाहा, मसीह का शिष्य होकर, मुझे अपने बुलाहट अनुसार अपना प्रेम मित्रों के सामने दर्शाना था-साफ़ हृदय से l

परमेश्वर की महिमा के लिए हम अपने परिवार, मित्रों, और पड़ोसियों की सेवा का अवसर खोजें l